Swachhata Hi Sewa : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत सोनीपत जिले के अंकित बैंयापुरिया के साथ झाड़ू लगाई। पीएम मोदी ने इसका वीडियो भी पोस्ट किया है जो अब काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। अंकित युवाओं के लिए रोल मॉडल बने हुए हैं। हाल ही में अंकित 75 हार्ड चैलेंज की वजह से चर्चा में आए थे।
Swachhata Hi Sewa : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अंकित ने झाड़ू लगाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान के तहत सोनीपत जिले के अंकित बैंयापुरिया के साथ झाड़ू लगाई। पीएम मोदी ने इसका वीडियो भी पोस्ट किया है, जो अब काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। अंकित युवाओं के लिए रोल मॉडल बने हुए हैं। हाल ही में अंकित 75 हार्ड चैलेंज की वजह से चर्चा में आए थे।
अंकित ने 75 हार्ड चैलेंज के जरिये युवाओं को मेंटल फिटनेस के गुर सिखाए हैं। अंकित ने इंटरनेट मीडिया पर वीडियो और फोटो अपलोड करते हुए युवाओं को मेहनत करते हुए नशा न करने के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने युवाओं को रोजाना हार्ड वर्क के साथ प्रेरित करने वाली सनातन धर्म की पुस्तकें पढ़ने और ब्रह्मचर्य का पालन करने की अपील की है।
क्या है 75 हार्ड चैलेंज?
पूरे विश्व में 75 हार्ड चैलेंज को कठोर माना जाता है। यह इतना कठिन होता है कि इसे चुनौती के रूप में स्वीकार करने वाले अधिकतर लोग फेल हो जाते हैं। अंकित ने इसे स्वीकार करते हुए बताया कि इसके पांच कठिन नियम होते हैं।
सबसे पहले रोजाना सुबह-शाम 45-45 मिनट के दो वर्ककआउट सेशन होते हैं। इनमें अंकित पहले दौड़, स्प्रिंट, 100 सपाटे, रस्सा चढ़ना, दो बार अखाड़ा खोदना, पेट की एक्सरसाइज करते हैं। दूसरे नियम के तहत रोजाना एक सेल्फी लेते हैं, ताकि पहले दिन और 75वें दिन शरीर में हुए बदलाव को देख सकें।
तीसरे नियम में रोजाना चार लीटर पानी पीना होता है। चौथा पौष्टिक आहार लेना, इसमें शराब और मिठाई का सेवन वर्जित है। पांच नियम में रोजाना 10 मिनट कोई भी प्रेरक पुस्तक पढ़नी होती है। अंकित ने रोजाना श्रीमद्भागवत गीता पढ़ी। अंकित ने वीडियो बनाकर यूट्यूब् और इंस्टाग्राम पर डाले। यूट्यब पर अंकित के करीब 50 लाख और इंस्टा पर 20 लाख फॉलोअर्स हैं।
दूध-दही व रोटी खाकर गरीब परिवार के अंकित बने युवाओं के रोल मॉडल
अंकित ने बताया कि उन्होंने गांव के ही पहलवान कृष्ण के निर्देशन में 13 साल पहले कुश्ती का अभ्यास शुरू किया था। कंधे और घुटने में चोट के कारण उन्हें पहलवानी छोड़नी पड़ी। गरीब परिवार से होने के कारण उन्हें दूध-लस्सी के साथ रोटी ही खाने को मिलती थी।
बाद में डाइट में बादाम, ड्राईफ्रूट और प्रोटीन शामिल किए किए। अब इंटरनेट मीडिया के जरिए अंकित से युवा जुड़ते जा रहे हैं। रोजाना उनके घर पर मिलने आने वालों का तांता लग रहा है। अंकित युवाओं को सनातन धर्म के ग्रंथों पढ़ने, नशे से दूर रहने और ब्रह्मचर्य का पालन करने की सीख दे रहे हैं क्योंकि शारीरिक के साथ मानसिक रूप से मजबूत होना जरूरी है।
मिट्टी के बर्तन बनाकर बिजेंद्र ने बेटे को बनाया फिटनेस ट्रेनर
अंकित के पिता बिजेंद्र व मां सुनीता पढ़े-लिखे नहीं हैं। दोनों मिट्टी के बर्तन बनाकर गुजारा करते हैं। पिता बिजेंद्र ने बताया कि उन्होंने पहले ही ठान ली थी कि वे अंकित व उनकी दोनों बड़ी बहनों को स्नातक तक की शिक्षा तो जरूर दिलवाएंगे।
उन्होंने ईंट भट्ठे पर काम करते हुए तीनों बच्चों को पढ़ाया। पहले अंकित ने जोमाटो में डिलीवरी ब्वॉय, हलवाइयों के साथ काम, चावल फैक्ट्री में मजदूर, जिम में ट्रेनर की नौकरियां की। बाद में उन्होंने ये नौकरी भी छोड़ दी। पिता ने बताया कि आज फैन्सी बर्तनों का जमाना है।
दीपावली पर लोग हमारे दीये नहीं खरीदकर फैन्सी दीये खरीदते हैं। अंकित हमेशा अपने वीडियो में सभी को राम-राम और भोले बाबा जैसा किसी में दम नहीं, देसी किसी से कम नहीं कहते दिखते हैं।